क्योंकि ऐसा बस नफ़रत ही कर सकती है
नफ़रत –विस्वावा शिम्बोर्स्का देखो कितनी सक्षम है यह अब भीबनाए हुए अपने आप को चाक-चौबन्द –हमारी शताब्दी की नफ़रत. किस आसानी से कूद जाती है यहसबसे ऊंची बाधाओं के परे.किस तेज़ी से दब... Read more
सबकी ज़रूरत का नमक वह अकेला ही क्यों ढोए
समुद्र पर हो रही है बारिश –नरेश सक्सेना क्या करे समुद्रक्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और कहाँ खो गईंक्या पताकितनी भाप बनाकर उड़ा दींइसका भी कोई हिसाब उसके पास नहींफिर भी सं... Read more
आज अमृता प्रीतम का जन्मदिन है. 31 अगस्त, 1919 को पंजाब के गुजरांवाला अमृता प्रीतम का जन्म हुआ. पंजाबी की ख्यात लेखिका होने के बावजूद वे सारे हिन्दुस्तान की लेखिका मानी जाती हैं. उन्होंने अपन... Read more
शैलेश मटियानी लिख चुके थे अपने पागलपन का रोजनामचा
शैलेश मटियानी को हममें से कितने लोग जानते हैं? सौ, दो सौ, चार सौ या हजार-दो हजार. यही न? कुछ ने सिर्फ नाम सुना होगा या एकाध कहानी पढ़ी होगी. आज से तीस-पैंतीस साल या थोड़ा और पहले पढ़ाई-लिखाई... Read more
रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात
कुछ कद्दू चमकाए मैंनेकुछ रास्तों को गुलज़ार कियाकुछ कविता-टविता लिख दीं तोहफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात अपना ही दिल सीने में भींचे बैठा हूँहाँ जीं हाँ वही कनफटा हूँ, हेठा हूँटेलीफ़... Read more
कितना आसान है हत्या को आत्महत्या कहना
किसान और आत्महत्या -हरीश चन्द्र पाण्डे उन्हें धर्मगुरुओं ने बताया था प्रवचनों मेंआत्महत्या करने वाला सीधे नर्क जाता हैतब भी उन्होंने आत्महत्या की क्या नर्क से भी बदतर हो गई थी उनकी खेती वे क... Read more
कैसैं कै दें मिल गई है आजादी
आज सबेरैं भज कै आई दरवज्जे पै टुइयाँपटिया बैठी अम्मा बोलींकितैं गई थी गुइयाँ? बोली टुइयाँ गई सकूल मेंहोती बितैं मुनादीलड़ुआ बाँटत माट्टर बोलैंआज मिली आजादी बात समझ न आई जेसब बोलें सूदी-... Read more
आज रॉबर्ट डी नीरो का जन्मदिन है
विश्व सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में से एक रॉबर्ट डी नीरो का जन्म आज ही के दिन यानी 17 अगस्त 1943 को न्यूयॉर्क शहर के मैनहटन में हुआ था. उनके माता-पिता वर्जीनिया एडमिरल और रॉबर्ट डी नीरो सीन... Read more
प्यार करते हैं नवीन सागर लालच और नफरत की ऑंधी हैफोटू में गॉंधी हैऔर बाजार ही बाजार है. ऐसे में वह दिन आता हैजब युद्ध जरूरी हो जाता हैनजरें बचाते हुएकहते हैं युद्ध अब जरूरी है. वह दिन आता हैज... Read more
पन्द्रह अगस्त - वीरेन डंगवाल सुबह नींद खुलती तो कलेजा मुंह के भीतर फड़क रहा होता ख़ुशी के मारे स्कूल भागता झंडा खुलता ठीक ७:४५ पर, फूल झड़ते जन-गण-मन भर सीना तना रहता कबूतर की मानिन्द बड़े ल... Read more