चट्टान से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त पहाड़ी घसियारिनों को समर्पित लोकगाथा ‘देवा’
बहुत सुन्दर गाँव था. खूब गधेरा पानी. अपनी बंजाणी घना जंगल और थी उसी गाँव में एक सुन्दर निर्मल झरने की तरह लड़की देवा. सारे गाँव की बेटी. हमेशा उसके पास एक हँसी रहती थी. दुखी से दुखी उस हँसती... Read more
भविष्य: एक पहाड़ी लोहार की कहानी
रतखाल की दुकानों से लौटे हरकराम गुमसुम से बैठे हैं. वहाँ से आते वक्त ही पैर टूटने लगे थे. दो मील का सफर ही अंतहीन हो गया था, जबकि सारा रास्ता ढलान का था. चढ़ाई होती तो घर पहुँचना मुश्किल ही... Read more
एक छोटा बालक था. उसकी दादी उसे रोज एक रोटी उसके ज्योज्याग (कमरबन्द) में बांधकर उसे भेड़ चराने भेजती थी. एक दिन भेड़ चराने से पहले उसने अपनी रोटी एक झाड़ी में छिपा दी. वापस आया तो झाड़ी से रो... Read more
कोऊ न जानत कवि की पत्नी के मन की पीर
“कब से ऐसा महसूस हो रहा है?” “ये क्या बकवास है? अरे इसमें महसूस जैसा क्या है, मैं हूँ कवि, तो हूँ.” “मैं आपसे नहीं, आपकी पत्नी से पूछ रहा हूँ.” “अरे डाक्साब,पहिले तो... Read more
हिंदी के कथाकारों में शेखर जोशी बड़ा नाम हैं. आपसी संबंध, आंचलिकता और पर्वतीय जीवन से सरोबार उनकी कहानियां दुनियाभर में पसंद की जाती हैं. अल्मोड़ा के ओलिया गांव में जन्में शेखर जोशी की कहानि... Read more
जब दूरदराज के इलाकों में सेवाएं देने के लिए शिक्षकों में कुछ अतिरिक्त योग्यताओं की जरूरत पड़ती थी
दूरदराज के इलाकों में सेवाएं देने के लिए, उन दिनों शिक्षकों में कुछ अतिरिक्त योग्यताओं की जरूरत पड़ती थी. स्वास्थ्य-सेवाओं के नाम पर, वहां पर कुछ भी नहीं होता था. डिस्पेंसरी तो छोड़िए, फार्म... Read more
इंद्रू : जिसे प्रकृति ने लोहे और पत्थरों की सख्ती से निपटने के लिए ही पैदा किया
जहाँ हमारे गाँव की हद खत्म होती है वहीं पर एक जमाने में इंद्रू सुनार की लोहे गलाने की भट्टी हुआ करती थी. इंद्रू केवल नाम भर का सुनार था, काम तो वो खेती किसानी, पशुपालन और रोजमर्रा के घरेलू क... Read more
उसने कहा था : चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी
बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ीवालों की जबान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्टवालों की बोली का मरहम लगावें. जब बड़े-बड़े शहरों... Read more
मंगलू जागर्या : नंदकिशोर हटवाल का नाटक जो परम्पराओं को विज्ञान की कसौटी पर परखता है
उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊं अंचल में जागर एक महत्वपूर्ण विधा है, गीत-संगीत और लोकनृत्य की. लोक ऐतिहासिक सामग्री के रूप में भी ये बहुमूल्य हैं. जागर, देवताओं से सम्बंधित होते हैं या देवत्व-प... Read more
अर्धांगिनी : छुट्टी में पहाड़ आये फ़ौजी का घर-संसार लपेटे शैलेश मटियानी की कहानी
टिकटघर से आखिरी बस जा चुकने की सूचना दो बार दी जा चुकने के बावजूद नैनसिंह के पाँव अपनी ही जगह जमे रह गए. सामान आँखों की पहुँच में सामने अहाते की दीवार पर रखा था. नज़र पड़ते ही, सामान भी जैसे... Read more