नगरपालिका सभागार में अल्मोड़ा 2-3 सितम्बर को आयोजित बगेट-आर्ट प्रदर्शनी देखने का सुअवसर मिला. बगेट चीड़ के पेड़ की छाल को कहते हैं. अल्मोड़ा के त्युनरा/बांसभीड़ा मोहल्ले के निवासी धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने तीन साल पहले शौकिया तौर पर इसे शुरू किया. वह पहले इंडियन पोटाश लि. में कार्यरत थे. अपनी बड़ी बहिन, जो मूक-बधिर है, की देखभाल करने के लिए अब घर पर रहते हैं. उनकी सभी कलाकृतियाँ थीम पर आधारित हैं, जैसे- विश्व-योग दिवस, महात्मा गांधी, पर्यावरण, पलायन, निर्भया-कांड, अवसाद, युवा-शक्ति आदि.
नंदा-सुनंदा, गणपति, शिव आदि देवी-देवताओं की सुन्दर प्रतिमाएं भी प्रदर्शित हैं. वे इन्हें बेचते नहीं. उनका मन इन्हें बड़ी कला-दीर्घाओं में प्रदर्शित करने के बाद जयपुर स्थित मूक-बधिर संस्था या अन्य परोपकारी संस्था को दान करने का है. कलाकार की प्रकृति और समाज के ज्वलन्त मुद्दों के प्रति संवेदना मन को छूती है.
सभी फोटो: कमल कुमार जोशी
अल्मोड़ा में रहने वाले कमल कुमार जोशी उत्तराखण्ड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान, अल्मोड़ा में कार्यरत हैं. यात्राओं और फोटोग्राफी के शौक़ीन हैं. स्वतंत्र लेखक के तौर पर कई नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं.
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One Comment
पंकज सनवाल
बहुत सूंदर ।