Related Articles

5 Comments

  1. Rochakguy

    Awsm post love to read kafaltree site

  2. Anshul Kumar Dobhal

    भट पीस के डालने हैं या साबुत ??

  3. विरेंद्र विष्ट

    मुँह में पानी भर आया। मेरा पसंदीदा भात और भट की चुड़काणि

  4. Naveen Papney

    लहसुन को शुरू में तड़का लगाने की बजाए सबसे आखिर में कच्चा कूट कर डाला जाए तो स्वाद और बढ़ जाता है। लोहे की कड़ाही में 20-25 मिनट तक चुरकाणी को पकाया जाए तो उसकी रंगत देखते ही भूख बढ़ जाती है।

  5. गोविन्द गोपाल

    धन्यवाद , रविवार के दिन आपने चुड़कानी की बात राखी और आज ये बनेगी भी .
    पर एक मित्र पूछ रहे हैं कि पीसना है क्या ? तो भ्रम में नहीं पड़ना है . ये चुड़कानी बनाने की बात चल रही है . पीसने पर दुसरा व्यंजन बनता है . यहाँ पर मैं कुछ जोड़ना चाहूँगा . सुधीर जी ने भिन्न स्वाद की चुड़कानी बनाने का ढंग ऊपर बताया है . पर में यहाँ ठेठ कुमाउनी ढंग बताउंगा उसके बाद आप अपने प्रयोग कर सकते जैसे आपकी चुड़कानी सांभर वाली चुड़कानी या शाही चुड़कानी या थाई या कोरियन चुड़कानी बना सकते हैं …… और ये संभव पर इन सबमें चुड़कानी का स्वाद का अंतिम संस्कार हो जाएगा . एक ठेठ कुमाउनी चुड़कानी बनाने के लिए आप आगे की बातों में मेरे साथ रहे —- काले छोटे भट्ट धो लीजियेगा और लोहे की कडाहे में गर्म सरसों के तेल में दाल दें और पूरी लाल मिर्च के साथ लोहे डाडू से भुनना आरम्भ करें, हिलाते रहे और जब चट – चट की आवाज आनी आरम्भ हो तो सभी दानों के गर्मी से चट्ट-पट्ट हो जाने के अनुमान के बाद गेहूं के आटे को डाल कर उसे भी भुनने की आवश्यकता है थोड़ी देर . और फिर पानी दाल कर नमक मिला दीजिएगा . इसके अतिरक्त जुछ भी डालने से आप चुड़कानी के स्वाद से दूर हो जायेंगे . आपको पकाते समय इसे हिलाते रहने की आवश्यकता है और एक दो उबाल के बाद इसे धीमी आंच में पकाईयेगा और उप्पर कढाई के किनारेमें मलाई बनाने और चिपकने की प्रतीक्षा करें . आंच बंद कर दस-पांच मिनट ताप थोडा कम होने दें और फिर पुनः गर्म कर कम गीले भात के साथ अपने आस-पास के किसी बच्चे को सर्व करें . और उसके बार-बार माँगने पर ही चुड़कानी बनी ऐसा मानकर चलना चाहिए अन्यथा अन्य दिन पुनः प्रयास करें . मेरी शुभकामनाएं .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation