कुछ ही महीने पहले की बात है. अननोन नम्बर से मोबाइल पर काॅल आती है. उठाया तो कोई महिला कड़क आवाज़ में पूरे आत्मविश्वास के साथ पूछ रही थी – आप कौन हो? मैंने घबराते हुए कहा, मैडम आप बताइए आप कौन हो. और ये तो आपको मालूम होना चाहिए कि आप किससे बात क... Read more
Prem Chand Sharma Agriculture Uttarakhand Read more
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 5 मई 1887 को अल्मोड़ा में हुई थी. इसी दिन पहली बटालियन रेज़ की गयी. प्रथम विश्वयुद्ध शुरु होने के समय अर्थात् 1914 में गढ़वाल राइफल्स की दो बटालियन थी. दोनों ने इस महायुद्ध में भाग लिया. दोनों बटालियन्स के शौर्य और बलिदान की... Read more
पिता ने पुत्र की नियति का निर्धारण करते हुए उसको पैतृक पंडिताई की जागीर सौंप दी थी. पिछली सदी के पूर्वार्द्ध में सामान्यतया इस जागीर को हासिल करने वाला भी भाग्यशाली ही माना जाता था. कारण, उद्योगविहीन और वर्षानिर्भर कृषि वाले पहाड़ी इलाके में जीविका क... Read more
1857 की क्रांति में गढ़वाल भू-भाग में पूरी तरह शांति रही. इतनी कि तत्कालीन कमिश्नर रैमजे को गढ़वाल भ्रमण पर होने के बावजूद नैनीताल पहुँचना ही श्रेयस्कर लगा. उसी गढ़वाल में अंग्रे राज्य के विरुद्ध असंतोष की पहली ज्वाला ककोड़ाखाल में भड़की थी. आज से ठी... Read more
एक स्कूल हो ऐसा जिसका हर कोना इतना सुंदर हो कि उससे बाहर जाने का मन ही न हो. ये सपना हर अभिभावक का होता है. इसके लिए वो अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा लगाने के लिए भी तैयार रहता है. फिर भी ऐसे स्कूल की तलाश अधिकतर अधूरी ही रहती है. नामी पब्लिक स्कूल भी अभि... Read more
जनवरी का महीना था. कुछ ही दिन पहले हिमपात हुआ था. जिला शिक्षा अधिकारी के साथ मैं छापराधार इण्टर कॉलेज में गया था. मसूरी-चम्बा मार्ग पर धनोल्टी से छापराधार तक जनवरी में ठण्ड का क्या आलम रहता है ये उधर से गुजरने वाला ही समझ सकता है. (Winter Holidays an... Read more
क्रिसमस-युद्धविराम, प्रथम विश्वयुद्ध की सबसे प्रसिद्ध उपकथाओं में से एक है. पूरी तरह से अनऑफिशियल और तात्कालिक ये युद्धविराम 24-25 दिसम्बर 1914 को प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर हुआ था. लगभग 50 किलोमीटर के दायरे में इस दौरान पूरी तरह शांति छा... Read more
जिनकी स्मृति में बिजली के लट्टुओं से जगमग पहाड़ की ही छवि है वो पहाड़ में लालटेन के बिम्ब का निहितार्थ कभी समझ ही नहीं सकते. पहाड़ में लालटेन औद्योगिकीकरण का प्रथम संदेशा लेकर आयी थी. पर पहाड़ में लालटेन के कवि ने लालटेन को इस एंगल से नहीं देखा. कवि... Read more
जो छूट गए, जो पिछड़ गए हैं और जो अधिकारों से वंचित रह गए हैं, सरकारें उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएँ बनाती है. लोक-समाज, पर्व-त्योहार बनाता है. सबके हिस्से में हर्ष-उल्लास सुनिश्चित करने के लिए. उत्तराखण्ड का इगास त्योहार, जो कहीं बूढ़ी... Read more