गांव में एक चचा थे, सरिया और एल्युमिनियम के तार मोड़कर इतनी जबर्दस्त गाड़ियां बनाते थे कि क्या कहने, रविवार को अलसुबह हम सब बच्चे कचड़े के ढेर से रबड़ के फटे पुराने चप्पल जूते और रंग बिरंगे कागज़ बटोर कर उनके दरवाजे पर चिरौरी करने पहुंच जाते! यह नब्ब... Read more